Sandeep Kumar

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लेखनी कहानी -22-Mar-2024

वह लड़की है जो अंतर मन को छू जाती है 
राह चले मनचलों पर बिजली गिराती है
ताड़ते रह जाते हैं हम लड़के वह चलती रह जाती है 
मगरूर जवानी की उसकी यादें तन बदन छू जाती है 
वह लड़की है जो,,,,

आंख की काजल माथे की बिंदिया
क्या रूह श्यानी भाती है
ओठों की लाली हाथ की कंगन
क्या नजर रंगीनियां सजाती है
पांव की पैजाप झुनर वाली साज
क्या अंधेरे में जुगनू सी जगमगाती है 
वह लड़की है जो,,,,

धीरे से मुस्कुराती वह नज़रें चुराती है
बाज सी ऊंची अरमान बढ़ाती है
एक पल की अदाकारी से
जाने कितनी चमन को उजाड़ जाती है
वह लड़की है जो,,,,

गोरी चिकठी मधुर काया मधुमास सी गाती है
सुंदर रूप मोरनी सी सजा कर नखरे भर- माती है
मनमस्त मगन वह आंगन छवि दिखाती है
वही लड़की है जो दिल पर अपनी राज करती है
वह लड़की है जो,,,,

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar

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